प्रतिहार वंश का इतिहास

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प्रतिहार वंश का इतिहास

हरीशचंद्र

  • यह मंडौर के प्रतिहारों का आदिपुरुष था।
  • प्रतिहार अभिलेखों में इसे ब्राह्मण बताया गया है।
  • यह वेदों का ज्ञाता था।
  • इनको “रोहलिद्धि” (योग क्रिया में निपुण) की उपाधि प्राप्त थी।
  • इनके चारों बेटों (रज्जिल, भोगभट्ट, कक्क, दद्द) ने मंडौर जीता तथा यहां परकोटे का निर्माण करवाया।

रज्जिल

  • यह मंडौर का पहला प्रतिहार राजा था।

नरभट्ट

  • इनको “पेल्लापेल्ली” की उपाधि प्राप्त थी।

नागभट्ट

  • यह राजधानी को मंडौर से मेड़ता लेकर गया।
  • इसका बड़ा पुत्र तात सन्यासी बन गया और छोटा बीटा भोज मंडौर का राजा बना।

शीलुक

  • इसने तमणी (फलौदी) तथा वल्ल (जैसलमेर) पर अधिकार कर लिया।
  • इसने वल्ल के राजा देवराज भट्टी से छत्र छीन लिया था।

कक्क

  • इसने मुंगेर के युद्ध [वत्सराज (भीनमाल) तथा धर्मपाल (मुंगेर) के बीच] में भाग लिया तथा वत्सराज की सहायता की।
  • यह व्याकरण, काव्य, तर्क तथा ज्योतिष का ज्ञाता था।

बाउक

  • मंडौर के विष्णु मंदिर में इसने बाउक प्रशस्ति (837 ई.) लगवाई थी।
  • यह प्रशस्ति मंडौर के प्रतिहारों की जानकारी का मुख्य स्त्रोत है।

कक्कुक

  • इसने घंटियाला में दो अभिलेख (861 ई.) लगवाये।
  1. प्रथम अभिलेख “माता की साल” (जैन मंदिर) नामक स्थान से प्राप्त होता है जो की प्राकृत भाषा में लिखा गया था।
  2. द्वितीय अभिलेख खाखू देवल नामक स्थान से प्राप्त होता है जो की संस्कृत भाषा में लिखा गया था।
  • इसने मंडौर तथा रोहिन्सकूप (घंटियाला) में जय स्तम्भ लगवाए थे।
  • इसने रोहिन्सकूप में बाजार बनवाया था।

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