चौहान वंश का इतिहास

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चौहान वंश की उत्पत्ति

अग्निवंशी

चन्दबरदाई की पुस्तक पृथ्वीराजरासो के अनुसार ऋषि वशिष्ठ ने आबू पर्वत पर यज्ञ किया। इसी यज्ञ के अग्निकुंड से चार राजपूत जातियों (चौहान, चालुक्य, परमार, प्रतिहार) की उत्पत्ति हुई। ऐसा माना जाता है कि इनमें चौहान सबसे अंत में उत्पन्न हुए। कालान्तर में ‘मुहणोत नैणसी’ तथा ‘सूर्यमल मीसण’ ने इस सिद्धांत का समर्थन किया।

सूर्यवंशी

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चंद्रवंशी

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ब्राह्मण

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विदेशी

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इंद्र के वंशज

रायपाल के सेवाड़ी अभिलेख के अनुसार चौहान इन्द्र के वंशज है।

बिजोलिया अभिलेख

1170 ई. में पार्श्वनाथ मंदिर में दिगम्बर जैन लोलाक ने यह अभिलेख लगवाया था।
यह अभिलेख चौहान राजा सोमेश्वर के शासन काल में लगवाया गया। सोमेश्वर में मंदिर रेवणा नामक गांव दान में दिया और प्रताप लंकेश्वर की उपाधि धारण की।
इस अभिलेख के अनुसार –

– चौहान वत्स गौत्रीय ब्राह्मण है
– वासुदेव ने सांभर झील बनवाई
– विग्रहराज IV ने दिल्ली विजय हासिल की

यह अभिलेख राजस्थान की विभिन्न नगरों की प्राचीन नामों की जनजकरि देता है।

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इस अभिलेख से प्रशासनिक विभाजन की जानकारी मिलती है –

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चौहानों का उत्पत्ति स्थल

इनका उत्पत्ति स्थल सपादलक्ष” (सांभर झील के चारों और का क्षेत्र) को माना जाता है जिसकी राजधानी अहिछत्रपुर थी।
इतिहासकार “रामकर्ण आसोपा” के अनुसार चौहान सांभर झील के चारों तरफ के क्षेत्र में रहते थे। अतः इनका नाम चौहान पड़ा।

चौहान वंश की रियासतें

चौहान वंश की रियासतें

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