आपका हमारी वेबसाइट rajasthanigyan.com में स्वागत है। आज हम सिरोही, बूंदी तथा कोटा का इतिहास के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। हमारी इस वेबसाइट पर आपको राजस्थान राज्य की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में आने वाले महत्वपूर्ण Topics की आसान और सरल भाषा में जानकारी मिलती है।
***सिरोही में चौहान वंश की देवड़ा शाखा का शासन था।
लुम्बा
- 1311 ई. आबू तथा चंद्रावती को जीतकर इसने परमारों को हराया तथा चौहान वंश की देवड़ा शाखा का शासन प्रारम्भ किया।
- चंद्रावती को इसने अपनी राजधानी बनाया था।
शिवभान
- इसने शिवपुरी को अपनी राजधानी बनाया।
सहसमल
- 1425 ई. में इसने सिरोही की स्थापना की तथा इसे अपनी राजधानी बनाया।
सुरताण
» यह युद्ध 1583 ई. में सुरताण तथा अकबर के बीच हुआ।
» इसमें सुरताण के खिलाफ अकबर की तरफ से दो सेनापति जगमाल और रायसिंह लड़े थे।
» इस युद्ध में सुरताण की विजय हुई थी।
- दुरसा आढा इनके दरबारी विद्वान थे जिन्होंने “राव सुरताण रा कवित” नामक पुस्तक लिखी।
बैरीसाल
- इन्होंने औरंगजेब के खिलाफ जोधपुर के अजीतसिंह को कालिन्द्री गांव में शरण दी थी।
शिव सिंह
- 1823 ई. में यह अंग्रेजों के साथ संधि कर लेता है।
- इस प्रकार सिरोही राजस्थान की अंतिम रियासत थी जिसने अंग्रेजों के साथ संधि की थी।
***बूंदी में चौहान वंश की हाड़ा शाखा का शासन था।
देवा
- इसने जैता मीणा को हराया तथा बूंदी में चौहान वंश की हाड़ा शाखा का शासन स्थापित किया।
जैत्रसिंह
- इसने कोटा को जीतकर उसे बूंदी राज्य में मिला लिया।
बरसिंह
- इसने बूंदी में तारागढ़ किले का निर्माण करवाया यह किला अपने भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।
सुरजन
- 1569 ई. में अकबर ने रणथम्भौर पर आक्रमण किया। इस समय सुरजन अकबर से संधि कर लेता है इसमें आमेर के भगवंतदास की मुख्य भूमिका थी।
- इसने द्वारिका में रणछोड़ मंदिर का निर्माण करवाया।
- चंद्रशेखर इनके दरबारी विद्वान थे जिन्होंने “सुरजन चरित” तथा “हम्मीर हठ” जैसी पुस्तकें लिखी।
बुद्ध सिंह
- इसने “नेहतरंग” नामक पुस्तक लिखी।
- बुद्ध सिंह के दो बेटों दलेल सिंह (दत्तक पुत्र) तथा उम्मेद सिंह (वास्तविक पुत्र) में उत्तराधिकार संघर्ष था।
- सवाई जयसिंह ने दलेल सिंह का समर्थन किया तथा मराठों ने उम्मेद सिंह का पक्ष लिया। मराठों की तरफ से उनके कमांडर मल्हार राव होल्कर ने इसमें भाग लिया।
- इस प्रकार बूंदी राजस्थान की पहली रियासत थी जिसकी आंतरिक राजनीति में मराठों ने हस्तक्षेप किया।
- बुद्धसिंह की रानी अमर कंवर थी जो सवाई जयसिंह की बहन थी। वहीं दलेल सिंह की रानी कृष्णा कंवर थी जो सवाई जयसिंह की बेटी थी।
विष्णु सिंह
- 1818 ई. में यह अंग्रेजों के साथ संधि कर लेता है।
***यहां चौहान वंश की हाड़ा शाखा का शासन था।
माधोसिंह
- यह बूंदी के रतनसिंह का बेटा था।
- 1631 ई. में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने बूंदी रियासत का विभाजन किया तथा माधोसिंह को कोटा का स्वतंत्र राजा घोषित किया।
- मध्य एशियाई अभियान की सफलता के बाद शाहजहाँ ने इसे ‘बाद रफ्तार’ नामक घोड़ा भेंट किया।
मुकुंद सिंह
- इसने कोटा में अबलि मीणी के महल का निर्माण करवाया।
- यह धरमत के युद्ध में लड़ता हुआ मारा गया।
भीमसिंह
- ये वल्लभ संप्रदाय के अनुयायी थे।
- इन्होंने खुद का नाम बदलकर कृष्णदास रख लिया।
- इन्होंने कोटा का नाम बदलकर नंदग्राम और शेरगढ़ का नाम बदलकर बरसाना कर दिया।
- इन्होंने बारां में सांवरिया जी का मंदिर बनवाया।
- मुगल बादशाह फर्रुखसियर के कहने पर इसने बूंदी पर आक्रमण कर दिया । बूंदी के राजा बुद्ध सिंह को हराया तथा बूंदी का नाम बदलकर फर्रुखाबाद कर दिया।
- यह बूंदी के किले से “धुलधाणी” तथा “कड़कबिजली” नामक तोपें लेकर गया।
उम्मेद सिंह
- 1817 ई. में यह अंग्रेजों के साथ संधि कर लेता है।
- 1818 ई. में अंग्रेजों ने कोटा के साथ पूरक संधि की।
किशोर सिंह II
∴ यह युद्ध किशोर सिंह II तथा जालिमसिंह झाला के बीच हुआ।
∴ जालिमसिंह झाला युद्ध जीत गया।
∴ इस युद्ध में अंग्रेजों ने जालिमसिंह झाला की सहायता की थी। कर्नल जेम्स टॉड इसमें सेनापति था।
रामसिंह
- यह जालिमसिंह झाला का पोता था।
- 1838 ई. में अंग्रेजों ने मदनसिंह झाला को झालावाड़ का स्वतंत्र राजा घोषित कर दिया।
- ***(झालावाड़ राजस्थान की अंतिम रियासत थी।)