आपका हमारी वेबसाइट rajasthanigyan.com में स्वागत है। आज हम राजस्थान विधानसभा तथा इसके विभिन्न संवैधानिक उपबंधों तथा कार्यों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। हमारी इस वेबसाइट पर आपको राजस्थान राज्य की सभी exams में आने वाले महत्वपूर्ण Topics की आसान और सरल भाषा में जानकारी मिलती है। राजस्थान विधानसभा एवं उनसे सम्बंधित जानकारी परीक्षा दृष्टि से एक बहुत ही महत्वपूर्ण Topic है। जिसका हम अध्ययन करेंगे।
संविधान के भाग 6 में अनुच्छेद 168 से 212 राज्य विधान मंडल से संबंधित है। राज्य विधानमंडल में विधानसभा, विधान परिषद तथा राज्यपाल आते हैं। भारत में राज्य विधानमंडल की संरचना तथा संगठन सभी राज्यों में एक समान नहीं है। भारत के 6 राज्य (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक) में द्विसदनीय विधानमंडल है और बाकी सभी राज्यों में एक सदनीय विधानमंडल है। द्विसदनीय विधानमंडल में विधानसभा तथा विधान परिषद होती है जबकि एक सदनीय विधानमंडल में केवल विधानसभा होती है। राजस्थान में विधान परिषद नहीं है केवल विधानसभा ही है। अतः राजस्थान में एक सदनीय विधानमंडल है।
विधानसभा
संविधान का अनुच्छेद 170 में विधानसभा की संरचना एवं गठन से संबंधित है। विधानसभा को प्रथम सदन, निम्न सदन, लोकप्रिय सदन, अस्थाई सदन आदि उपनामों से भी जाना जाता है। इसके सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। विधानसभा के लिए अधिकतम 500 तथा न्यूनतम 60 सदस्य संख्या का प्रावधान है परंतु सिक्किम (32), गोवा (40), मिजोरम (40), पुडुचेरी (30) इसके अपवाद है। विधानसभा में कुछ सीटें अनुसूचित जाति (SC) व कुछ सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित होती है।
(योग्यता) विधानसभा का सदस्य बनने के लिए भारत का नागरिक तथा आयु 25 वर्ष पूर्ण होना आवश्यक है।
(कार्यकाल) सामान्यतः इसका कार्यकाल प्रथम बैठक से 5 वर्ष का होता है परंतु यह अस्थाई सदन है 5 वर्ष से पहले भी भंग किया जा सकता है। इन्हें पद की शपथ राज्यपाल दिलवाता है।
1 वर्ष में विधानसभा के न्यूनतम दो अधिवेशन अनिवार्य हैं क्योंकि विधानसभा के दो अधिवेशनों के मध्य 6 महीने से ज्यादा का अंतर नहीं हो सकता।
विधानसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को उनके सदस्य में से ही चुना जाता है तथा यह अपना त्यागपत्र एक दूसरे को देते हैं।
राजस्थान विधानसभा
वर्तमान में राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं जिनमें से 34 सीटें अनुसूचित जाति (SC) तथा 25 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है।
प्रथम विधानसभा
विधानसभा सीटों में बदलाव
- पहली विधानसभा – 160
- दूसरे विधानसभा – 176
- तीसरी विधानसभा – 176
- चौथी विधानसभा – 184
- पांचवीं विधानसभा – 184
- छठी से 16वीं विधानसभा – 200
पांचवीं विधानसभा अभी तक कि एकमात्र विधानसभा थी जिसका कार्यकाल 5 वर्ष से अधिक रहा।
विधानसभा के प्रथम महिला अध्यक्ष सुमित्रा सिंह (2003 2008)
लगातार 10 बार विधायक रहने का रिकॉर्ड हरिदेव जोशी के नाम है।