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राजस्थान लोक सेवा आयोग
राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) राजस्थान राज्य सरकार का एक आयोग जो राजस्थान में प्रशासनिक सिविल सेवाओं के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं द्वारा
अभ्यर्थियों का चयन करता है। यह अभ्यर्थी राज्य की शीर्ष सेवाओं जैसे राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS), राजस्थान पुलिस सेवा (RPS) आदि में कार्य करते हैं।
राजस्थान लोक सेवा आयोग : स्थापना
राजस्थान लोक सेवा आयोग को 20 अगस्त 1949 में राजपत्र में प्रकाशित किया गया और इसकी स्थापना 22 दिसंबर 1949 को हुई। इसका मुख्यालय जयपुर था। सत्यनारायण राव की समिति (1956) की सिफारिश पर 31 अगस्त 1958 से इसका मुख्यालय जयपुर से अजमेर स्थानांतरित कर दिया। इसके प्रथम अध्यक्ष एस. के. घोष तथा प्रथम सदस्य देवीशंकर तिवारी तथा श्री एन आर चंदारेकर थे। उस समय इसमें एक अध्यक्ष और दो सदस्य होते थे।
संवैधानिक उपबंध
संविधान के भाग XIV के अध्याय II में अनुच्छेद 315 से 323 तक राज्य लोक सेवा आयोग से सम्बंधित है।
संरचना तथा संगठन
मूल रूप से राजस्थान लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष तथा दो सदस्य होते थे। परंतु समय-समय पर इसकी संख्या में बदलाव होता गया और वर्तमान में इसमें एक अध्यक्ष और सात सदस्य होते हैं। वर्तमान में श्री कैलाश चंद्र मीणा को राजस्थान लोक सेवा आयोग का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है। डॉ मंजू शर्मा, डॉ संगीता आर्या, श्री बाबूलाल कटरा (निलंबित), कर्नल केसरीसिंह राठौड़, कैलाश चंद्र मीणा तथा प्रोफेसर अयूब खान वर्तमान में राजस्थान लोक आयोग के सदस्य हैं।
नियुक्ति तथा कार्यकाल
राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति मुख्यमंत्री के परामर्श से राज्यपाल द्वारा की जाती है। इसका कार्यकाल 6 वर्षीय 62 वर्ष की आयु जो भी पहले हो, तक होता है। यह अपना त्यागपत्र राज्यपाल को देते हैं।
आयोग के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन भत्ते तथा पेंशन राज्य की संचित निधि से दिए जायेंगे।
आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य सेवानिवृत्ति के बाद अन्य आयोग के अध्यक्ष व सदस्य बनने के लिए पात्र होंगे इसके अलावा सरकार के अन्य किसी भी पद के लिए पात्र नहीं होंगे।
आयोग के कार्य तथा शक्तियां
- यह संघ तथा राज्य सेवाओं में नियुक्ति के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करते हैं। (अनुच्छेद 320)
- राज्य सरकार द्वारा नियम बनाकर आयोग के कार्यों का विस्तार किया जा सकता है जिसमें सार्वजनिक संस्थाओं की सेवाएं शामिल है।
- राज्य लोक सेवा आयोग अपने कार्य संबंधी रिपोर्ट को प्रतिवर्ष राज्यपाल को देनी होती है।