व्यंजन किसी प्रदेश या क्षेत्र के लोकप्रिय खान-पान होता है। इस पर धार्मिक, सांस्कृतिक तथा भौगोलिक प्रभाव होता है। अर्थात किसी क्षेत्र विशेष का व्यंजन धार्मिक, सांस्कृतिक तथा भौगोलिक के अनुसार तय होता है। भारत में खान-पान की कई शैलियां है जिनमे से हमारे राजस्थान की एक शैली मारवाड़ी शैली भी है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम राजस्थान के प्रमुख व्यंजन का विस्तार से वर्णन करेंगे।
राजस्थान की राज्य मिठाई – घेवर
राजस्थान का राज्य खान-पान – दाल-बाटी चूरमा
राजस्थान की राज्य रोटी – बाजरे की रोटी
राजस्थान राज्य सब्जी – बेसन गट्टे की कड़ी
राजस्थान का राज्य अचार – लेसुआ (गर्मी), कैरिया (सर्दी)
राजस्थान का राज्य पेय – छाछ-राबड़ी
समयानुसार राजस्थान के भोजन
कलेवा/सिरावण – सुबह का नास्ता (Breakfast)
भात – दोपहर का भोजन (Lunch)
ब्यालू – रात्रि भोजन (Dinner)
हिरावणी – विवाह के समय नव वधू को दिया जाने वाला कलेवा
बरोटी – विवाह पश्चात वधू के स्वागत में किया जाने वाला भोजन। शेखावाटी क्षेत्र में इसे “भडार” भी कहते है।
राजस्थान की प्रमुख सब्जियाँ
सांगरी – ये जांटी (खेजड़ी) की हरे रंग की सर्पिलाकार आकर की फलियां होती है जिन्हे उबालकर सब्जी बनाई जाती है। सांगरी पकने ये पीले रंग की सूखी लकड़ी के सामान हो जाती है जिसे “खोखा” कहते है।
खींपोळी – राजस्थान में खींप एक मरुस्थलीय पौधा होता है जिसकी हरे रंग की फलियां होती है जिन्हें खींपोळी कहते है। इन्हें उबालकर सब्जी बनाई जाती है।
कैरिया – राजस्थान के मरुस्थल में शुष्क वातावरण के अनुकूल झाड़नुमा कैर का पौधा होता है। इस पौधे के छोटे बेर के समान हरे फल लगते है जिन्हें कैर कहते है। राजस्थान में इनकी सब्जी और आचार (सर्दी के लिए) दोनों बनते है।
बिछिया – ये किंकर (बबूल) के पौधे की फलियां होती है जिन्हें उबालकर सब्जी बनाई जाती है।
फोफलिया – राजस्थानी हरी टिंडसी को काटकर उसके बीज निकालकर उन्हें गूदे को सूखा लिया जाता है। सूखने के बाद इन्हे फोफलिया कहते है। इनको उबालकर सब्जी बनाई जाती है।
खेलरिया – राजस्थानी ककड़ी (जिसे राजस्थान में ककड़िया कहते है) को काटकर सूखा दिया जाता है फिर इनकी सब्जी बनाई जाती है। आमतौर पर इस सब्जी में गुड़ डाला जाता है। अतः ये एक मीठी सब्जी होती है।
बेसन गट्टा – बेसन का आटा गूंथकर उसे छोटे-छोटे अलग-अलग आकर में काट लिया जाता है जिन्हे गट्टा कहते है। फिर इनकी सब्जी बनाई जाती है। यह राजस्थान की राजकीय सब्जी है।
कड़ी – बेसन को छाछ के साथ उबालकर इसे बनाया जाता है।
राजस्थान की रोटियाँ
टिक्कड़ – बाजरे आटे से बनी मोटी रोटी जिसे चूल्हे में लकड़ी या उपलों के कोयलों में सेका जाता है। इसे बाजरे का रोटला भी कहते है।
चिलड़ा – बेसन में नमक तथा मिर्च डालकर बनाई गई रोटी। इसे मिसी रोटी भी कहते है।
बेजड़ – सात अन्न (अनाज) को मिलाकर तैयार की गई रोटी बेजड़ कहलाती है। बेजड़ नागौर की प्रसिद्ध है।
राजस्थान के नमकीन व्यंजन
भुंगड़ा – हालाँकि यह केवल राजस्थान में ही नहीं बल्कि पुरे भारत में खाया जाता है। इसे बनाने के लिए चने को सेका जाता है और उसमे नमक और हल्दी डालते है।
सत्तू – चने का बारीक़ पीसा हुआ आटा सत्तू कहलाता है। इसमें नमक आदि डालकर पिया जाता है। सत्तू मीठा और नमकीन दोनों तरह का होता है। सत्तू से परांठे , लिट्टी और लड्डू भी बनाये जाते है।
राबड़ी – यह राजस्थान का प्रमुख पेय है। इसे छाछ साथ पिया जाता है। इसे बनाने के लिए छाछ में बाजरे या मोठ का आटा डालकर कुछ घंटों के लिए धूप में रखा जाता है जिसे “खाटा” कहते है। इसके बाद इसे आंच पर गर्म किया जाता है।
बरिया – इसे बनाने के लिए मोठ या चने आटा उबालकर उसमें नमक तथा मिर्च मिलाई जाती है।
धानी – ये गेहूं या ज्वार से बनता है। इसमें कैलोरी कम होती है इसीलिए इसे वजन काम करने के लिए खाया जाता है। ज्वार धानी चिवड़ा एक सेहतमंद नाश्ता है।
कचोरा – यह कचोरी का बड़ा रूप होता है जो मैदे का ही बनता है। नसिराबाद (अजमेर) का कचोरा प्रसिद्ध है।
दाल-बाटी – इसे बनाने के लिए गेहूँ के आटे को गूंथकर उसके लोये बनाये जाते है और उन्हें कोयलों में सेका जाता है। इन्हें दाल तथा चूरमे के साथ खाया जाता है। इसे “बटल्या” भी कहते है। यह राजस्थान का प्रमुख खान-पान है।
नमकीन पापड़ – ये सम्पूर्ण राजस्थान में प्रसिद्ध है विशेषतः बीकानेर। ये अलग-अलग प्रकार के होते है जैसे-चने के पापड़, मोठ के पापड़ और मूंग के पापड़ आदि।
मिर्ची बड़ा – इसे बनाने के लिए हरी मिर्च को बेसन में डुबोकर तेल में फ्राई किया जाता है। मिर्ची बड़ा जोधपुर का प्रसिद्ध है।
ढोकला – गेहूँ तथा बाजरे के आटे को गूंथकर उसकी लोई बनाई जाती है जिन्हें सूती वस्त्र में डालकर भाप पर पकाया जाता है।
राजस्थान के मीठे व्यंजन
सिरा (हलवा) – ये गेहूँ के आटे या सूजी दो तरह से बनता है। इसमें आटे को घी में भुना जाता है फिर उसमें चीनी डाली जाती है।
लापसी – यह दिखने में सिरे के समान ही होती है। यह गेहूँ के आटे की बनती है तथा घी और पानी डाला जाता है।
गुलगुले – गेहूँ के आटे को पानी तथा चीनी के पानी में घोलकर तेल में फ्राई किया जाता है। इसमें चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग भी आम है।
मालपूंए – गेहूँ के आटे को पानी तथा चीनी या गुड़ के पानी में घोलकर रोटी के समान सेका जाता है।
घुघरी – इसे बनाने के लिए गेहूँ तथा बाजरे को पानी में उबालकर उसमें चीनी या गुड़ मिलाया जाता है।
पंजीरी – इसे बनाने के लिए धनिये को थोड़ा मोटा पीसकर उसमें चीनी मिलाई जाती है।
नुक्ती – ये बेसन की बूंदी होती है।
सोहन पापड़ी – इसे मैदे द्वारा तैयार किया जाता है। अजमेर की सोहन पापड़ी प्रसिद्ध है।
तिलपट्टी – इसे बनाने के लिए तिलों को चाशनी में मिलाकर चपटा आकर दे दिया जाता है।
शक्करपारा – ये गेहूँ आटे से बनते है इसमें गेहूँ के आते को चीनी या गुड़ की चाशनी में घोला जाता है फिर इसे तेल में फ्राई किया जाता है। पुराने समय में राजस्थान के लोग यात्रा भोजन के रूप में शक्करपारे का उपयोग करते थे।
दूनी – यह मैदे का हलवा होता है।
घेवर – यह बेसन का बनता है जिसकी आकृति गोल होती है तथा सरंचना में मधुमक्खियों के छाते के समान छिद्र होते है। जयपुर की घेवर प्रसिद्ध है।
रसगुल्ला – बीकानेर का रसगुल्ला प्रसिद्ध है। इसे दूध के छीने द्वारा बनाया जाता है जो स्पंजी होता है एयर चाशनी में डुबोकर रखा जाता है।
चक्की – राजस्थान में विभिन्न प्रकार की चक्की बनती है जैसे- बेसन चक्की, मावे की चक्की, गूंदपाक की चक्की तथा नारियल बुरादे की चक्की आदि।
दलिया – गेहूँ को मोटा पीसकर उसके आटे को पानी में उबाला जाता है। इसमें चीनी या गुड़ डाल दिया जाता है।
फिनी – ये मैदे की बनी होती है। ये धागे के आकार की तंतुनुमा सरंचना से मिलकर बनी होती है। इसे सामान्यतया खीर साथ खाया जाता है। सांभर की फिनी प्रसिद्ध है।
पेड़ा – ये मावे का बनता है। चिड़ावा तथा सरदारशहर (चूरू) के पेड़े प्रसिद्ध है।
जलेबी – यह मैदे बनती है। अजमेर जलेबी प्रसिद्ध है।