हमारी वेबसाइट rajasthanigyan.com में आपका स्वागत है। आज हम राजस्थान के प्रमुख नृत्य का विस्तार से वर्णन करेंगे। हमारी इस साइट पर हम राजस्थान के सभी एग्जाम में महत्वपूर्ण topics का visuals तथा flowcharts के माध्यम से अध्ययन करते है जिससे किसी भी topic को समझने में आसानी होती है। राजस्थान के प्रमुख नृत्य राजस्थान के All government exam का एक महत्वपूर्ण topic है जिससे सम्बंधित लगभग हर exam में कोई ना कोई प्रश्न अवश्य पूछा जाता है। राजस्थान के प्रमुख नृत्य topic को याद करने में सरलता की दृष्टि से इसे विभिन्न visuals के माध्यम से समझाया गया है।
नृत्य मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमयी प्रदर्शन है। इस किसी संगीत की ताल और गति के मुताबिक प्रदर्शित किया जाता है। अर्थात जब मानव मन प्रफुल्लित होता है तो मानवीय अभिव्यक्तियाँ संगीत की ताल के साथ नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित होती है जिसमें विभिन्न शारीरिक क्रियाएँ जैसे – हाथ हिलना, पैर हिलाना, शरीर का संतुलन बनाना तथा विभिन्न क्रियाओं द्वारा किसी सन्दर्भ को प्रदर्शित करना शामिल है।
नृत्य मानवीय जीवन का एक अति महत्वपूर्ण हिस्सा है। पुराणों में इसे दुष्ट नाशक तथा ईश्वर प्राप्ति का साधन माना गया है। नृत्य कई प्रकार का हो सकता है जैसे लोक नृत्य, धार्मिक नृत्य, सांस्कृतिक नृत्य, सामाजिक नृत्य, क्षेत्रीय नृत्य, व्यवसायिक नृत्य आदि। अर्थात नृत्य के कई रूप होते है जिन्हे अलग-अलग समय तथा अवसर पर अलग अलग किया जाता है।
नृत्य की इसी श्रेणी में हम राजस्थान के प्रमुख नृत्य को इस blog post के माध्यम से समझेंगे। नृत्य पर किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति, सामाजिक ताने – बाने का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। राजस्थान के प्रमुख नृत्य में भी यही देखने को मिलता है अर्थात यहाँ के नृत्य प्राकृतिक वातावरण पहाड़ों, मरुस्थलों, नदियों तथा जलवायु आदि से प्रभावित मानवीय जीवन का चित्र करते है। राजस्थान के प्रमुख नृत्य में प्रमुखतया संघर्ष का चित्रण मिलता है। अध्ययन में सरलता की दृष्टि से राजस्थान के प्रमुख नृत्य को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
राजस्थान के प्रमुख नृत्य ?
1. क्षेत्रीय नृत्य
2. व्यवसायिक नृत्य
3. जनजातीय नृत्य
प्रमुख क्षेत्रीय नृत्य
प्रमुख व्यवसायिक नृत्य
प्रमुख जनजातीय नृत्य
भील जनजाति के नृत्य
सहरिया जनजाति के नृत्य
गरासिया जनजाति के नृत्य
कालबेलिया जनजाति के नृत्य
अन्य जनजातियों के नृत्य