आपका हमारी वेबसाइट rajasthanigyan.com में स्वागत है। आज हम परमार वंश का इतिहास के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। हमारी इस वेबसाइट पर आपको राजस्थान राज्य की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में आने वाले महत्वपूर्ण Topics की आसान और सरल भाषा में जानकारी मिलती है।
धूमराज
- इनको परमार वंश का आदिपुरुष माना जाता है।
उत्पलराज
- यहां से आबू के परमारों की वंशावली प्रारंभ होती है।
धरणीवराह
- इसने अपने राज्य को 9 भागों में विभाजित किया अतः इनका राज्य “नवकोटि मारवाड़” कहलाता है।
- इनके शासनकाल में गुजरात के चालुक्य राजा मूलराज I ने आबू पर आक्रमण किया।
- इस समय धवल राठौड़ ने धरणीवराह को शरण दी। [यह जानकारी हस्तिकुण्डी अभिलेख (997 ई., पाली) से प्राप्त होती है ]
धन्धुक
- गुजरात के चालुक्य राजा भीम I ने आबू पर आक्रमण कर दिया। इस समय भोज परमार ने धन्धुक को चित्तौड़ में शरण दी।
- भीम I ने विमलशाह को आबू का प्रशासक बना दिया।
- विमलशाह ने धन्धुक तथा भीम I में समझौता करवा दिया।
- विमलशाह ने देलवाड़ा में आदिनाथ (ऋषभदेव) जैन मंदिर का निर्माण करवाया। इसे विमल वसहि कहा जाता है। कर्नल जेम्स टॉड ने कहा है कि ‘यह मंदिर ताजमहल के बाद भारत की सबसे सुन्दर ईमारत है।’
- धन्धुक की बेटी लाहिणी देवी ने बसंतगढ़ में सूर्य मंदिर और सरस्वती बावड़ी (लाहिणी बावड़ी) का पुनः निर्माण करवाया।
विक्रमदेव
- इन्होंने “महामंडलेश्वर” की उपाधि धारण की।
- इन्होंने कुमारपाल चालुक्य और अर्णोराज चौहान के बीच चल रहे संघर्ष में भाग लिया। इसकी जानकारी हमें हेमचन्द्र के ‘द्वाश्रयमहकाव्य’ तथा ‘नमंडनोपाध्यय के ‘कुमारपाल प्रबंध’ से मिलती है।
धारावर्ष
- इसने कायन्द्रा के युद्ध में भाग लिया।
- ये एक तीर से तीन भैंसो को बींद देता था। इसकी जानकारी अचलगढ़ में धारावर्ष की मूर्ति से मिलती है।
# यह युद्ध गजनी के मुहम्मद गौरी तथा चालुक्य राजा मूलराज I के बीच हुआ।
# इस युद्ध को मूलराज I की संरक्षिका के रूप में नायिका देवी ने लड़ा। तथा इनकी और से केल्हण, कीर्तिपाल तथा धारावर्ष ने युद्ध में भाग लिया।
# इस युद्ध में नायिका देवी ने गौरी को हरा दिया।
सोमसिंह
- इसके दो मंत्रियों वस्तुपाल तथा तेजपाल ने देलवाड़ा में नेमिनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। इसे लूणवसहि भी कहा जाता है।
प्रतापसिंह
- इसने मेवाड़ के जैत्र सिंह से चंद्रावती छीन लिया।
विक्रमसिंह
- यहां से आबू के परमार राजाओं ने रावल तथा महारावल की उपाधियां धारण करना प्रारंभ किया।
- जालौर के सोनगरा चौहानों ने आबू के परमार राज्य के पश्चिम भाग पर अधिकार कर लिया था।
कृष्णराज
- इनका अन्य नाम उपेन्द्र था।
- इनके बेटे डंबर सिंह ने वागड़ में परमार राज्य की स्थापना की।
मुंज
- इसने मेवाड़ के शक्तिकुमार पर आक्रमण किया।
- इसने आहड़ को तोड़ दिया तथा चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया। (धवल राठौड़ के हस्तिकुण्डी अभिलेख से यह जानकारी प्राप्त होती है।)
- यह कर्नाटक के चालुक्य राजा तैलप II के खिलाफ लड़ता हुआ मारा गया।
- इनको “कवि वृष” की उपाधि प्राप्त थी।
सिंधुराज
- यह मुंज परमार का भाई था।
- इसको नवसाहसांक की उपाधि प्राप्त थी।
भोज
- इसने चित्तौड़ में त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण करवाया। यह एक शिव मंदिर है।
- इसने नागदा के पास भोजसर झील का निर्माण करवाया।
- इसने तेजपाल झील (भोपाल) की स्थापना की।
- इसने अपनी राजधानी धारानगरी में सरस्वती कंठाभरण नामक संस्कृत पाठशाला का निर्माण करवाया था। कालांतर में तुर्कों ने इस पाठशाला को तोड़ दिया तथा इसे “कमालमौला मस्जिद” में बदल दिया।
डम्बर सिंह
- इसने वागड में परमार राज्य की स्थापना की।
मंडलीक
- इसने पाणाहेडा में मंडलेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया।
चामुंडराज
- इसने अर्थूणा में मंडलेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया।