आपका हमारी वेबसाइट rajasthanigyan.com में स्वागत है। आज हम चौहान वंश का इतिहास II (अजमेर का इतिहास) के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। हमारी इस वेबसाइट पर आपको राजस्थान राज्य की सभी exams में आने वाले महत्वपूर्ण Topics की आसान और सरल भाषा में जानकारी मिलती है।
वासुदेव
गुवक प्रथम
चन्दनराज
वाक्पतिराज
विग्रहराज II
गोविन्द II
अजयराज – (1105 – 1133 ई.)
- 1113 ई. में इसने अजमेर स्थापना की तथा यहाँ किले निर्माण करवाया।
- इसने “गर्जन मातंगों” (गजनी की राजा) को हराया।
- इसने पार्श्वनाथ मंदिर को सोने का कलश भेंट किया।
- इसने दिगम्बरों तथा श्वेताम्बरों के बीच शास्त्रार्थ (विद्वानों के बीच वाद विवाद) की अध्यक्षता की।
- अपनी रानी सोमलदेवी (सोमलेखा) के नाम से चांदी व तांबे के सिक्के चलाये।
- अपने अंतिम समय में अपने बेटे अर्णोराज को राजा बनाया और सन्यासी बन गया।
अर्णोराज – (1133 – 1153 ई.)
- 1135 ई. में इसने अजमेर के पास तुर्कों को हराया तथा युद्धस्थल पर आनासागर झील का निर्माण करवाया।
- इसने मालवा के राजा नरवर्मन को हराया।
- इसने गुजरात के चालुक्य राजा जयसिंह सिद्धराज को हराया।
- जयसिंह सिद्धराज ने अपनी राजकुमारी कांचन देवी का विवाह अर्णोराज के साथ किया।
- गुजरात के चालुक्य राजा कुमारपाल ने अर्णोराज को हरा दिया तथा अर्णोराज ने अपनी राजकुमारी जाल्हण देवी का विवाह कुमारपाल से किया।
- इसने पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया था।
- इसने “खरतरगच्छ संप्रदाय” (जैन) को भूमि अनुदान दिया था।
- अर्णोराज की हत्या उसके पुत्र जगदेव ने कर दी।
जगदेव
विग्रहराज IV – (1153 – 1163 ई.)
- इतिहासकार दशरथ शर्मा के अनुसार इसका शासन काल अजमेर के चौहानों का स्वर्णकाल था।
- इसने गुजरात के चालुक्य राजा कुमारपाल को हराया।
- इसने गजनी के खुसरो शाह को हराया।
- इसने दिल्ली के तोमरो को हराया तथा अब तोमर चौहानों के सामंत बन गए थे।
- इसने बीसलपुर की स्थापना की तथा यहां पर तालाब व शिव मंदिर का निर्माण करवाया।
- इसने “हरकेलि” नामक नाटक लिखा था यह कवि भारवि की “किरातार्जुनियम” पुस्तक पर आधारित है।
- अजमेर में सरस्वती कंठाभरण नामक संस्कृत पाठशाला की स्थापना की।
- कालांतर में कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस पाठशाला को तोड़ दिया तथा इसे एक मस्जिद में बदल दिया जिसे ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ कहा जाता है इस मस्जिद के पास पीर पंजाबशाह का 2 1/2 दिन का उर्स मनाया जाता है।
- इसने दिल्ली शिवालिक स्तंभलेख लगाया था यह अभिलेख अशोक के टोपरा अभिलेख के ठीक नीचे लिखा गया है।
दरबारी विद्वान
- सोमदेव – “ललित विग्रहराज” (इस पुस्तक में विग्रहराज चतुर्थ तथा देसल देवी की प्रेम कहानी का वर्णन है तथा इस पुस्तक के अनुसार विग्रहराजा चतुर्थ ने गजनी के राजा खुसरोशाह को हराया था)
- धर्मघोष सुरी (इसकी सलाह पर विग्रह चतुर्थ ने एकादशी के दिन पशु हत्या बंद करवा दी थी)
विग्रहराज चतुर्थ : उपाधियां
- बीसलदेव
- कविबंधु (पृथ्वीराज विजय पुस्तक के अनुसार)
- संस्कृत पाठशाला की दीवारों पर हरकेली तथा ललित विग्रहराज की पंक्तियां लिखवाई गई थी।
- किलहॉर्न ने विग्रहराज चतुर्थ की तुलना कालिदास तथा भवभूति से की थी।
- नरपति नाल्ह (15वीं सदी में) गोडवाड़ी भाषा में बीसलदेव रासो नामक पुस्तक लिखी गोडवाड़ी भाषा बाली (पाली) से आहोर (जालोर) के बीच बोली जाती है। (नरपति नाल विग्रह राज चतुर्थ का दरबारी कवि नहीं था।)
अपरगांग्य
- यह विग्रहराज चतुर्थ का पुत्र था इसे जगदेव के पुत्र पृथ्वीराज II ने हटा दिया।
पृथ्वीराज II
- 1167 ई. के हांसी अभिलेख के अनुसार इसने यहाँ पर किले का निर्माण करवाया तथा अपने मामा गुहिल किल्हण की नियुक्ति की।
- 1168 ई. के रूठी रानी मंदिर के धौड़ अभिलेख (धौलपुर) के अनिसार पृथ्वीराज II ने राज्य अपने बाहुबल से प्राप्त किया था। इस अभिलेख में सुहाव देवी नामक रानी का वर्णन मिलता है।
- इसने मेनाल में सुहेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया।
सोमेश्वर
- इसका बचपन गुजरात में बिता था।
- इसने कुमारपाल चालुक्य के शत्रु कोंकण के राजा मल्लिकार्जुन को हराया।
- इनकी रानी का नाम कर्पूरी देवी था जो अचलराज कलचुरी की पुत्री थी।
- इन्होंने अजमेर में अपनी तथा अपने पिता अर्णोराज की मूर्ति लगवाई।
- इन्होंने अजमेर में वैद्यनाथ मंदिर का निर्माण करवाया जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश की मूर्तियां लगी थी।